8/29/2009

दुनिया जिसे कहतें हैं .................

दुनिया जिसे कते हैं जादू काa खिलौना हैं ,मिल जाए तो मिटटी हैं खो जाए तो सोना हैं ..................सच हैं न! इस जादू के खिलौने को समझ पाने के लिए पुरा पुरा जीवन लगा दिया लोगो ने । किसी ने शास्त्र लिखे,किसीने ग्रन्थ रचे . १०-२० पन्नो के आलेख में भी इंसान जो न कह पाए वह एक पंक्ति में गजलकार ने कह दिया ,और कुछ इस तरह से कहाँ की हर मन पर अंकित हो गई यह गजल ।


संगीत से चाहे कितना ही अल्प परिचय क्यों हो!शास्त्रीय संगीत की राग रचना,आलाप,सुरताल का ज्ञान हो, हो,लोक संगीत की सरसता,प्रवाहशीलता में मन बहे बहे,फ़िल्म संगीतकी सुरीली झंकारों पर पाव थिरके थिरके,पर गज़ल वह विधा हैं कि हर किसी को पसंद आती हैं,हर किसी को अपनी सी लगती हैं,हर कोई सुनना पसंद करता हैं,गुनगुनाना पसंदकरता हैं,सच कहे तो कभी यह अपने ही दिल कि बात सुनाती सी,कहती सी लगती हैं इसलिए आज जब कई अन्य सांगीतिक विधाये अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं,तब गज़ल हर मन छा गई हैं,हर दिल पर राज कर रही हैं